ग्रियर्सन नें सन् 1920 के दशक में रायपुर में छत्तीसगढ़ी बोली (अब भाषा) में एक संवाद (कहानी) रिकार्ड किया। बाद में सन् 1927 में Linguistic Survey of India के नाम से Motilal Banarsidas द्वारा प्रकाशित किताब में इसे Indi-Aryan Family खण्ड में Eastern-Hindi के उदाहरण के रूप में सम्मिलित किया गया है। ग्रियर्सन नें इसे रायपुर जिले से संकलित बताया है किन्तु इसे Chhattisgarhi or Lariya कहा है। हमारा मानना है कि यह छत्तीसगढ़ी ही है, लरिया रायपुर जिले में प्रचलित नहीं रही है। यद्यपि इसमें लरिया का प्रभाव जान पड़ता है।
ग्रियर्सन नें इसे देवनागरी और रोमन दोनों में प्रकाशित करवाया है एवं बलाघात के अनुसार शब्दों को संजोया है। हम इसे छत्तीसगढी से प्रेम करने वालों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, इसे पढें और आनंद सौ साल पहले हमारी भाषा कैसे थी और उसे लिखा कैसे जाता था।