गांव के कुओं और हैंडपंपो का बढ़ा जलस्तर
लेख- शशिरत्न पाराशर
सहायक संचालक, Jansampark
नारायणपुर जिले के नक्सल हिंसा ग्रस्त ग्राम नेलवाड़ पंचायत के छोटेसुहनार गांव और टिमनार के नाला में पानी रोकने और ग्रामीणों की जरूरत करे देखते हुए प्रशासन द्वारा नाला बंधान का काम शुरू कर दिया गया है। सरकारी इमारतों में रेन Hr सिस्टम लगाये गये है। जहां जल संवर्धन में बारिश के जल को धरती के अन्दर सुरक्षित स्टोर रखने में मदद मिलेगी। गांवों में नाले के पानी के रूकने से ग्रामीणों की जरूरत का पानी और मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था हुई है। वहीं नाला बंधान से पानी ठहरने के कारण गांव के कुओं और हैंडपंपों का जल स्तर भी बढ़ गया है।
जिले में योजना के तहत 20 नालों का चयन कर कार्य संचालित किया जा रहा है। कार्य युद्धस्तर पर जारी है। जिले में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से आंकलन करें तो यह बात सामने आती है कि प्रति व्यक्ति को औसत पानी से भी कम पानी यहां उपलब्ध है। जिले में कोई बड़ी नदी-तालाब या बड़ा जलाशय नहीं होने के कारण सिंचित सिंचाई रकबा भी बहुत कम है। जिले के स्कूलों में भी बच्चों को पानी की उपयोगिता और उसके संरक्षण की जानकारी दी जा रही है।
प्रशासन द्वारा सामूहिक खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही कम पानी की फसल लेने पर भी बल दिया जा रहा है। दूरस्थ वनाचंल के लोग पेयजल के लिए हैण्डपम्प, टयूबवैल, छोटे नरवा, तालाब का सहारा लेते है। सरकार इनके लिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने का का भरपूर प्रयास कर रही है, लेकिन नक्सल समस्या से प्रभावित क्षेत्र, विषम व दुर्गम प्राकृतिक-भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हर घर तक शुद्ध पेयजल पहंुचाने हर तरह के उपाय पर विचार कर रहा है। हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम जल का उपयोग किस तरह करें, भविष्य में कैसे करना है तथा जल संकट हेतु क्या कदम उठायें।