नयी दिल्ली। मोदी सरकार को विश्व बैंक से तगड़ा झटका लगा। रविवार को विश्व बैंक ने भारत की विकास दर को घटाकर 6 फीसदी कर दी है। साल 2018-19 में देश की विकास दर 6.9 फीसदी थी। हालांकि साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस के लेटेस्ट एडिशन में विश्व बैंक ने ये भी कहा कि साल 2021 में भारत ग्रोथ रेट को 6.9 फीसदी फिर से रिकवर कर सकता है।
लगातार दूसरे साल कम हुई ग्रोथ रेट
विश्व बैंक ने कहा है कि लगातार दूसरे साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट कम हुई है। 2017-18 में यह 7.2 फीसदी थी, जो 2018-19 में घटकर 6.8 फीसदी हो गई। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज बढ़ने से इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ बढ़कर 6.9 फीसदी हो गई जबकि एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ 2.9 फीसदी और 7.5 फीसदी तक रही।
मूडीज ने घटाया GDP का अनुमान
इससे पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज भी भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा चुकी है। मूडीज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ 5.8 फीसदी रह सकती है। इससे पहले पहले मूडीज का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.2 फीसदी था। इस लिहाज से मूडीज ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान में 0.4 फीसदी की कटौती की है।
इसके साथ ही मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर चेतावनी भी दी है। मूडीज ने कहा है कि अगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रहती है तो सरकार की राजकोषीय घाटा कम करने की कोशिश को झटका लगेगा। इसके साथ ही कर्ज का बोझ भी बढ़ता जाएगा।
भारत को होगा इसका ज्यादा नुकसान
वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा ने आर्थिक सुस्ती को लेकर चेतावनी जा रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुस्ती देखी जा रही है, जिसके कारण 90 फीसदी देशों की विकास की रफ्तार धीमी रहेगी। तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के कारण भारत में सबसे ज्यादा इसका असर देखा जाएगा। http://www.kanvkanv.com
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